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RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat addressed at Shram Sadhak Sangam, Bhopal

Bhopal February 10, 2017: RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat addressed Shram Sadhak Sangam, an event organised by Seva Bharati as a part of its Silver Jubilee Celebrations at Bhopal on Friday. The event also marked the Birth Anniversary of great poet and social reformer Sant Ravidas.

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भोपाल 10 फरवरी 2017। संत रविदास महाराज ने हमें अपने काम और व्यवहार से संदेश दिया था कि कोई भी काम और मनुष्य छोटा-बड़ा नहीं होता, सब समान होते हैं। हमें अपने श्रम को हल्का नहीं मानना चाहिए। समाज को उसकी आवश्यकता है, इसलिए हम वह श्रम कर रहे हैं। श्रम में जिसका मान होता है, वही देश विकास करता है। इसलिए हमें श्रम और श्रमिकों का सम्मान करना चाहिए। राजा की सवारी के लिए सब रास्ता छोड़ते हैं, परंतु सवारी के सामने श्रमिक आ जाए तो राजा भी उसके लिए रास्ता छोड़ देते हैं। यह हमारी परंपरा है। भोपाल के लाल परेड मैदान पर उपस्थित हजारों श्रम साधकों के बीच यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने व्यक्त किए। संत रविदास जयंती और अपने रजत जयंती वर्ष के अवसर पर सेवाभारती की ओर से श्रम साधक संगम का आयोजन किया गया था, जिसमें भोपाल की 160 सेवा बस्तियों के सभी प्रकार के श्रम साधक उपस्थित थे।

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सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि यह आयोजन तीन प्रसंगों का संगम है। एक, सेवाभारती का रजत जयंती वर्ष। दो, संत रविदास महाराज की जयंती और तीन, श्रम साधकों का संगम। यह त्रिवेणी है। उन्होंने कहा कि सेवा का अंग्रेजी में अर्थ सर्विस बताया जाता है। सर्विस के साथ वेतन भी होता है। इसलिए अपने यहाँ इसे सेवा नहीं माना जाता है। जो व्यक्ति यह कहता है कि उसने बहुत सेवा की है अर्थात् सेवा का अहंकार जब प्रकट होता है, तब उसका मूल्य माटी हो जाता है। सेवाभारती के कार्यों की सराहना करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि सेवाभारती के कार्यकर्ता समाज को अपना मानते हैं, इसलिए सेवा कार्य करते हैं। वह मानते हैं कि समाज परिवार का कोई भी भाई पीछे नहीं रहना चाहिए।

 परस्पर सहयोग से बड़ा होगा समाज :

सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि समाज परस्पर सहयोग से बड़ा होता है। समाज के जो लोग ऊपर हैं, उन्हें थोड़ा नीचे झुककर कमजोर व्यक्ति की ओर हाथ बढ़ाना चाहिए और जो व्यक्ति नीचे हैं, उन्हें ऊपर की ओर उठना चाहिए। दोनों एक-दूसरे के साथ आएंगे, तब समाज सशक्त होता है। हिन्दू समाज में जो सामथ्र्यवान हैं, उनका कर्तव्य है कि वह कमजोर व्यक्तियों को सबल बनाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति का जीवन अकेले नहीं चलता है। प्रत्येक व्यक्ति का जीवन चल सके, इसके लिए सब अपना-अपना काम करते हैं। सबको साथ लेकर चलना ही भारत का स्वधर्म है।

पसीने के फूल से बड़ा होता है देश :

श्रम साधकों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि समाज के सभी लोगों को श्रमिकों का सम्मान करना चाहिए। पसीने के फूल खिलने पर ही देश बड़ा होता है। इसलिए प्रामाणिकता से हमें अपना कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब हम अपने काम के प्रति सम्मान रखेंगे, तो दूसरे भी हमारे काम को सम्मान से देखेंगे।

 शिक्षास्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में सेवाभारती का बड़ा योगदान : 

मुख्यमंत्री 


शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में सेवाभारती ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। श्रम साधकों के प्रति समाज और सरकार के भी कुछ कर्तव्य हैं, हमें इन कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी श्रमिकों को कानून बनाकर घर उपलब्ध कराने की घोषणा की। परीक्षा का अवसर नजदीक आने पर उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि तनावरहित होकर मेहनत और ईमानदारी से पढ़ाई करें। इस अवसर पर महापौर आलोक शर्मा, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी आशीष चौहान, वृहद कैपिटल प्रा.लि. पुणे के प्रबंध निदेशक प्रसाद दाहपुते, स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र कुमार शुक्ला और मध्यभारत सेवाभारती के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोदानी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर संत रविदास महाराज पर केंद्रित लेखक रामनाथ नीखरा की पुस्तक और सेवा प्रेरणा के विशेषांक का भी विमोचन किया गया। सेवाभारती का परिचय एवं उसके कार्यों की जानकारी सेवाभारती के सचिव प्रदीप खाण्डेकर और कार्यक्रम का संचालन करण सिंह ने किया।

कला साधकों के साथ संवाद और शौर्य स्मारक का किया भ्रमण : 

संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मध्यप्रदेश प्रवास के चौथे दिन सुबह अनौपचारिक कार्यक्रम के तहत कला साधकों से संवाद किया। भोपाल में गुंदेचा बंधुओं के प्रयास से स्थापित ध्रपद संस्थान में प्रदेश के प्रख्यात कला साधक समूह के बीच सरसंघचालक ने कहा कि कला को समृद्ध करना, देश और समाज के लिए आवश्यक है। कला क्षेत्र के लिए उन्होंने राजाश्रय से अधिक समाजाश्रय की महत्ता को रेखांकित किया। 

6 बजे शौर्य स्मारक भी पहुंचे। यहाँ उन्होंने परिसर का भ्रमण किया।

सेवा के लिए सम्मान :

1. सर्वश्रेष्ठ छात्रावास सम्मान-2017 : सरला-विनोद वनवासी छात्रावास, ग्वालियर

2. सेवावृत्ति पुरस्कार-2017 : पुरुषोत्तम मेघवाल

3. स्व. तात्या साहब पिंपलीकर सेवा सम्मान-2017 : श्रीमती सुधा पाचखेड़े. 

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