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Pre-Budget Analysis by Swadeshi Jagaran Manch स्वदेशी जागरण मंच द्वारा बजट पूर्व परिचर्चा

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दिल्ली: स्वदेशी जागरण मंच द्वारा मोदी सरकार के पहले आम बजट से पूर्व परिचर्चा का आयोजन दिल्ली के दीनदयाल शोध संस्थान के सभागार में दिनांक 7 जुलाई 2014 को किया गया. जानेमाने अर्थशास्त्री डॉ. भरत झुनझुनवाला और उदयपुर के पेसिफिक विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा और जानेमाने पत्रकार डॉ. आर.बालाशंकर और प्रो. शिवाजी सरकार सरीखें वक्ताओं ने इस परिचर्चा में भाग लिया. हालांकि यह परिचर्चा 10 जुलाई को संसद में पेश होने वाले आम बजट के संदर्भ में थी, लेकिन इस परिचर्चा में जनहित, राष्ट्रहित में आगामी बजट में अपेक्षाओं पर तो चर्चा हुई लेकिन साथ ही साथ पूर्व सरकारों के आर्थिक कुप्रबंधन और जनविरोधी आर्थिक नीतियों पर भी जमकर चर्चा हुई.

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परिचर्चा का प्रारंभ करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह-संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने अर्थव्यवस्था में घटती ग्रोथ, बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी, बढ़ते विदेशी भुगतान घाटे और मैन्यूफेक्चरिंग में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए पिछले बजट में पूर्व सरकार के वित्तमंत्री श्री पी. चिदंबरम द्वारा खर्चों को छुपाते हुए और राजस्व में बनावटी वृद्धि करते हुए राजकोषीय घाटे को कम दिखाने का मुद्दा उठाया.

मंच के अखिल भारतीय सह-संयोजक प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने बताया कि पी. चिदंबरम ने जितने राजकोषीय घाटे की परिकल्पना की थी उसका 47 प्रतिशत वर्ष के पहले 2 महीनों में ही पूरा हो चुका है. आगे चलकर यह घाटा कहीं ज्यादा हो सकता है, जिसके कारण महंगाई बढ़ सकती है. उन्होंने सरकारी खर्च युक्तिसंगत बनाने पर जोर दिया. उनका कहना था कि जिस प्रकार सरकार आमदनी बढ़ाने के लिए विनिवेश का सहारा लेना चाहती है, उसमें सरकारी व्यसायिक प्रतिष्ठानों की बिक्री सही उपाय नहीं है. उन्होंने वैश्विक अनुभवों का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर में सबसे अधिक लाभकारी विनिवेश का तरीका यह है कि घाटे वाली सरकारी कंपनियों सहित सभी सरकारी प्रतिष्ठानों में छोटे शेयर होल्डरों को शेयर बेचे जाएं. ऐसे में घाटे वाली कंपनियों के शेयर को भी ऊंची कीमत पर बेचकर धन जुटाया जा सकता है.

डॉ. भरतझुनझुनवाला ने देश में मंहगाई के संदर्भ में बोलते हुए यह कहा कि हालांकि मंहगाई चिंता का विषय है लेकिन यदि खाद्य वस्तुओं में महंगाई से किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल पाता है तो हमें उस मंहगाई को मान्य करना चाहिए लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा ऊंची कीमत पर सामान, चाहे वो साबुन हो या दवाईयां या कोई दूसरा साजोसामान, बेचने पर नियंत्रण होना चाहिए. उनका कहना था कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा, तभी देश में खाद्य पदार्थ समुचित मात्रा में उपलब्ध हो पायेंगे. उन्होंने विचार व्यक्त किया कि देश के विकास के लिए साधन संपन्न लोगों को त्याग करना होगा.

डॉ. आर. बालाशंकर ने विश्व बैंक और अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थानों के षडयंत्रों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके द्वारा पहले तो अर्थव्यवस्थाओं को ध्वस्त किया जाता है, और बाद में उन पर अनुचित शर्तें लादकर उन्हें और कमजोर किया जाता है. 1990 के दशक में यही सब कुछ हुआ. उन्होंने भूमंडलीकरण के नाम पर अन्यान्य प्रकार से भारतीय संस्थानों की लूटखसोट पर चिंता व्यक्त करते हुए यह कहा कि इस सरकार को विदेशी निवेश के मोह से बाहर आकर देश के संसाधनों के आधार पर विकास करने की तरफ आगे बढ़ना चाहिए.

प्रो. शिवाजी सरकार ने रेलवे में विदेशी निवेश के आधार पर बुलेट रेल चलाने की योजना की आलोचना करते हुए यह कहा कि आज देश में आमजन के लिए बेहतर यातायात सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. अमीरों के लिए सुविधाएं जुटाने की बजाए आमजन के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएं ज्यादा जरूरी है.

स्वदेशी जागरण मंच के उत्तर क्षेत्र के सहसंयोजक श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ ने सरकारी नीतियों में बदलाव के साथ-साथ व्यवस्था परिवर्तन पर बल दिया. परिचर्चा के संयोजक चार्टड एकाउंटेंट श्री विनोद गोयल ने धन्यवाद ज्ञापित किया. परिचर्चा का संचालन अधिवक्ता राजीव कुमार ने किया. इस परिचर्चा में दिल्ली विश्वविद्यालय के डी स्कुल आफ इकोनोमिक्स के रिसर्च स्कालर राजीव ने पावर पावईंट भी प्रस्तुत किया. इस परिचर्चा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहप्रांत संघचालक डॉ. श्याम सुन्दर अग्रवाल, पूर्व प्रांत संघचालक रमेश प्रकाश, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर मीनाक्षी, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्टेंडिंग कमेटी के चेयरमेन उषा शास्त्री, संसद सदस्य राजेन्द्र अग्रवाल, स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सहसंयोजक सरोज मित्र, कमलजीत, अजय कुमार और गणमान्य व्यक्तियों में समाजसेवी, चार्टड एकाउंटेंट, प्राध्यापक, उद्योगपति आदि उपस्थित रहे.

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