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‘Dr Ambedkar and Dr Hedgewar had several similarities': RSS Sarakaryavah Bhaiyyaji Joshi

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New Delhi April 14: RSS Sarakaryavah Suresh Bhaiyyaji Joshi released a special issue on Dr BR Ambedkar, published by Bharat Prakashan of New Delhi  on the 124th Birth Anniversay of Dr BR Ambedkar on Tuesday. Bharat Prakashan is a reputed RSS inspired publication, which publishes noted weeklies Organiser in English and Panchajanya in Hindi.

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Bhayyaji Joshi said, “there are several similarities between RSS founder Dr KB Hedgewar and Dr BR Ambedkar. Dr Hedgewar was born in 1889 and Dr Ambedkar born in 1891. After the education both realised the route-cause of the sufferings of the society and started their social life. Dr Ambedkar started social life in 1924 and Dr KB Hedgewar began RSS in 1925.”

Noted writer Narendra Jadhav, Bharat Prakashan’s Vijay Kumar, Prafulla Ketkar of Organiser and Hitesh Shankar of Panchajanya were present.

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने कहा कि भारत रत्न बाबा साहेब आंबेडकर पर देश में समग्रता से विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है. उनकी जय जयकार कर लेना, वर्ष में एक बार जन्मदिन मना लेना ही पर्याप्त नहीं है. बल्कि प्रतिदिन, कदम-कदम पर उनके विचारों का अनुसरण करने की आवश्यकता है. उनका जीवन प्रेरणा देने वाला है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रासंगिक बातों का विचार न कर दीर्घकालिक विचार करते हैं, ऐसे ही व्यक्ति महामानव कहलाते हैं. बाबा साहेब ने समाज में अधिकारों के लिये तो संघर्ष किया, लेकिन वर्ग संघर्ष को बढ़ावा नहीं दिया.  उनके लिये राष्ट्रहित सर्वोपरि रहा. समाज से विद्रोह नहीं किया तथा अनुयायियों को सही दिशा दिखाई, यह उनके जीवन की विशेषता रही. उन्होंने समता, स्वातंत्र व बंधुत्व पूर्ण समाज के निर्माण के लिये प्रयास किया.

सरकार्यवाह भय्या जी जोशी भारत प्रकाशन दिल्ली (पाञ्चजन्य, आर्गेनाइजर) द्वारा डॉ भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती पर प्रकाशित संग्रहणीय विशेषांक के विमोचन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन सिरी फोर्ट आडिटोरियम, खेल गांव में 14 अप्रैल शाम को किया गया. भय्या जी जोशी ने कहा कि बाबा साहेब का स्मरण करना यानि विसंगतियों से लड़ने की ताकत प्राप्त करना है, भूल, कमी को दूर करने के लिये प्रयास करना है. बाबा साहेब ने समाज से कुरीतियों को दूर करने के लिये आंदोलन किया, समाज में संघर्ष का निर्माण करने के लिये नहीं.

सरकार्यवाह भय्या जी जोशी भारत प्रकाशन दिल्ली (पाञ्चजन्य, आर्गेनाइजर) द्वारा डॉ भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती पर प्रकाशित संग्रहणीय विशेषांक के विमोचन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन सिरी फोर्ट आडिटोरियम, खेल गांव में 14 अप्रैल शाम को किया गया. भय्या जी जोशी ने कहा कि बाबा साहेब का स्मरण करना यानि विसंगतियों से लड़ने की ताकत प्राप्त करना है, भूल, कमी को दूर करने के लिये प्रयास करना है. बाबा साहेब ने समाज से कुरीतियों को दूर करने के लिये आंदोलन किया, समाज में संघर्ष का निर्माण करने के लिये नहीं.

सरकार्यवाह जी ने बाबा साहेब का विचारों का उल्लेख करते कहा कि उन्होंने कहा था देश का संविधान कितना भी श्रेष्ठ हो, क्रियान्वित करने वाले प्रमाणिक नहीं होंगे तो संविधान फैंकने वाला होगा और यदि क्रियान्वित करने वाले सही होंगे तो संविधान ठीक से लागू हो जाएगा. कानून बनाकर बाह्य जीवन में समरसता के व्यवहार से समाज एकरस नहीं होगा, इसके लिये अंत:करणों में परिवर्तन की आवश्यकता है. बाबा साहेब ने समाज की विचित्र स्थितियों (कुरीतियों) को लेकर सवाल खड़े किये, जिससे समाज में चितंन हो, जागरण आए. उन्होंने कहा कि समाज से मिले अन्याय को सहन करते हुए भी समाज के प्रति प्रेम आसान काम नहीं है, कोई भी सामान्य व्यक्ति विद्रोह कर सकता है.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि कुछ घटनाओं को देख समझ में आता है कि ईश्वरीय शक्तियां भी कार्य करती हैं. तभी दो महापुरुष कम अंतराल में अवतरित हुए, दोनों ने चिकित्सक का कार्य किया, समाज की बीमारियों को समझा तथा श्रेष्ठ, निर्दोष समाज के निर्माण के लिये उपचार में जुटे. संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार (जन्म 1889) ने चिकित्सक की शिक्षा ग्रहण की, पर स्टेथोस्कोप नहीं पकड़ा और समाज के उपचार में लगे. डॉ आंबेडकर (जन्म 1891) ने चिकित्सा शास्त्र नहीं पढ़ा, पर उन्होंने भी समाज की चिकित्सा का कार्य किया. बाबा साहेब ने 1924 में समाज निर्माण का कार्य शुरू किया, डॉ हेडगेवार ने 1925 में संघ की स्थापना की, यह भी संयोग ही है. दोनों महापुरुषों ने अपना उद्देश्य एक ही रखा. समाज का उत्थान हो, निर्दोष समाज बने, समाज में शक्ति का जागरण हो, भारत पुन क्षमताओं के साथ खड़ा हो. महामानव बाबा साहेब को देश के लोगों ने समझा ही नहीं, कुछ समझा भी तो केवल सीमित मात्रा में समझने की कोशिश की. देश ने डॉ आंबेडकर को कैसे समझा पता नहीं, पर अनुमान लगा सकते हैं मदर टेरेसा को उनसे दस वर्ष पूर्व भारत रत्न पुरस्कार प्रदान कर दिया गया था. सवाल योग्यता को लेकर नहीं है, बल्कि व्यक्तित्व को समझने से है. हमने किस तरह समझा.

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भय्या जी ने कहा कि बाबा साहेब पर समग्रता से अध्ययन की आवश्यकता है, मार्गदर्शन पर चलने की आवश्यकता है. उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है. डॉ आंबेडकर का जीवन सकारात्मक रहा, नकारात्मकता उनके जीवन में नहीं थी. सरकार्यवाह जी ने कहा कि अंत:करणों में परिवर्तन कैसे हो, इसके लिये क्या किया जा सकता है. इसका समाधान व संभव मार्ग संघ स्थापना से डॉ हेडगेवार ने दिखाया.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अर्थशास्त्री व योजना आयोग के पूर्व सदस्य नरेंद्र जाधव ने कहा कि भारतीय समाज ने बाबा साहेब को आजतक ठीक से समझा ही नहीं है. बाबा साहेब जैसे महामानव को केवल दलित नेता के रूप में पहचाना जाना या स्थापित करना, उनके व्यक्तित्व का अपमान करना है. वह देशभक्त महान राष्ट्रीय नेता थे. बहुत  कम लोग जानते होंगे कि डॉ आंबेडकर देश के सबसे प्रशिक्षित अर्थशास्त्री थे. बाबा साहेब अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात समाज के पुनर्निर्माण, तथा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक परिवर्तन में लगे रहे. बाबा साहेब बहुआयामी व्यक्तित्व थे. नरेंद्र जाधव जी ने बताया कि कार्यक्रम में आने की हामी भरने पर उनके कुछ मित्रों ने आपत्ति जताई व पूछा कि उस मंच पर क्यों जा रहे हैं. जाधव जी ने कहा कि बाबा साहेब के व्यक्तित्व को सामने लाने का प्रयास उनके लिये राजनीतिक फायदे-नुकसान का माध्यम नहीं है, उनके लिये यह अत्यानंद की बात है. उस महामानव के व्यक्तित्व को प्रकट करने का प्रयास होता है, तो वह ऐसे अच्छे काम में शामिल होने से पीछे नहीं हटेंगे. और उनके मित्रों को आपत्ति है तो उसे वह अपने पास रखें. अन्य विशिष्ट अतिथि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत का संदेश पढ़कर सुनाया गया. वह शासनिक कार्य के कारण उपस्थित नहीं हो सके.

आर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने स्थापना से लेकर वर्तमान तक आर्गेनाइजर और पाञ्चजन्य की यात्रा की जानकारी दी, साथ ही बाधाओं का भी जिक्र किया. राष्ट्रीय विचारों की तपस्वी धारा निरंतर बह रही है. पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने संग्रहणीय अंक के निर्माण में विभिन्न जनों से मिले सहयोग के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विशषांक की तीन लाख प्रतियां अग्रिम बुक हो चुकी हैं, जो शायद एक इतिहास होगा. भारत प्रकाशन दिल्ली के प्रबंध निदेशक विजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया.panchjanya-1


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